बेगूसराय में जदयू के कमजोर पड़ने के पीछे कारण

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बेगूसराय में जदयू की स्थिति लगातार चुनौतियों से घिरी हुई दिखाई देती है। 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने जिले की चार सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही। यही वजह थी कि संगठनात्मक ढाँचे और जनाधार पर सवाल उठने लगे।

2025 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, जिनमें से केवल चेरिया बरियारपुर सीट पर विजय मिली, जहाँ युवा अभिषेक आनंद ने पार्टी को जीत दिलाई। दूसरी सीट पर जदयू को हार का सामना करना पड़ा। इसके विपरीत, बेगूसराय में भाजपा और लोजपा धीरे-धीरे अपनी पकड़ मज़बूत कर रही हैं, जो जदयू के लिए चिंता का विषय बन गया है।

2020 में मटिहानी सीट से जदयू के टिकट पर बोगो सिंह चुनाव लड़े थे और हार गए थे। वहीं, 2020 में लोजपा से  चुनाव लड़ने वाले राजकुमा सिंह 2025 में जदयू से चुनाव लड़ा, लेकिन वह भी जीत नहीं पाए। यह दर्शाता है कि जदयू के टिकट का स्थानीय स्तर पर अपेक्षित प्रभाव नहीं दिख रहा, जबकि अन्य दल लगातार जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत करते जा रहे हैं।

एक ओर जदयू का जनाधार कमजोर हुआ है, वहीं दूसरी ओर अभिषेक आनंद की जीत पार्टी के लिए एकमात्र सकारात्मक पहलू साबित हुई। इसके बावजूद, चेरिया बरियारपुर से जीतने के बाद भी जदयू के खाते से कोई मंत्री नहीं बनाया गया, जिससे स्थानीय कार्यकर्ताओं में असंतोष और सवाल पैदा होना स्वाभाविक है।

संपूर्णतः देखा जाए तो बेगूसराय में जदयू के घटते प्रभाव और अन्य दलों के बढ़ते वर्चस्व के कारण ही यह स्थिति बनी है कि पार्टी को यहां गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता है।

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